२०१४ लोकसभा निवडणुकीत भाजप चा दणदणीत विजय व कॉंग्रेस व इतर पक्षांचा दारूण पराभव झाला. त्या प्रसंगावर आधारित कविता.....
" दरवाजा खुला तो कुछ खास निकला
भाजपा मानो, काँग्रेस का
बाप निकला I
दस साल चिपका ‘मौनी’ निकला,
मम्मी तो मम्मी, पप्पुभी
निकला I
माया की माया, रूह से निकली,
खिसकी नितीश के पाव तले
मिट्टी,
जब शरद की भी हो गई छुट्टी
I
दरवाजा खुला तो रमनजी हंसे
एमपी में कमलनाथ, कमल में फसे
I
दरवाजा खुला तो पृथ्वी-राज
ओव्हर
दिल्ली से हो गये केजरी
बाहर I
सारे सवालों के जबाब मिल गये
केजरी बस प्रश्नावली धरे रह
गये I
दरवाजा खुला तो हमें मिली राहत
जब नेताजी बडी चाहत के
निकले I
निकले मेरे अरमान मगर देर
से निकले
देर से हि सही, मगर दुरुस्त
निकले I
- प्रकाश पटवर्धन."
kya baat hai
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