राज ‘राज’ की बात कह गये
उधडे ज़ख्मों का दर्द कह गये
रोना अपना रोते रह गये
उद्धव, भाजपा को सुना गये II
गुस्सा आना लाजिम था तब
कदम, कदमताल कर गये
भाजपा से मिलकर हमरे
जख्म सारे हरे कर गये II
कदम के जाने पर भी जैसे
मनसे को राहत मिलनी थी
शिवसेना के पूर्व नगराध्यक्ष की
पाला बदलने की अब बारी थी II
शुभाजी जब छोड शिवसेना
पाला बदल के मनसे आयी
‘राज’ का कुछ तो दर्द सुहाया
घाटा जो उनका भर आया II
उनके आने पर भी यारोँ
याद जो ‘उसकी’ सता रही थी
मद्दिम चुभन ‘उनके’ छुरे की
उभर के तब भाषण में आई II
दुनिया है भैय्या बेगानी
चूनावों की यहीं निशानी
लगी रही है, लगी रहेगी
जीवन में यह आनी-जानी IIप्रकाश पटवर्धन
आपणास वाचायला आवडेल.
आजचा सुविचार
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