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Friday, January 22, 2016

0 महकते है किताबों में अभी तक खत पुराने से

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र  -  से
ब  -  1222  1222   1222   1222.

महकते है किताबों में अभी तक खत पुराने से  
नई दुनिया बसाने के करिश्में भी सुहाने से I
*
चिरागों को जलाए रख सदा तू बुझ नहीं पाये 
यहाँ कब तीरगी से बच सका कोई जमाने से I 
*
गुजर जाएं हजारों मुश्किलों से हम तो' क्या कहने
हमारा नाम आयेगा मुहब्बत के तराने से I
रजामंदी सहारा है हमारा जी मुहब्बत में  
बताओ ना भला वो बाज आये क्यों जमाने से I 
*
मनाना ही फसाना है जरा सोचो मुहब्बत में 
न हम मनते,  न हम फसते, पुराने जेलखाने से I

               -    प्रकाश पटवर्धन, 
4/  

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