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अंधेरे उजाले सुहाते रहे हैं
दिलोंको दिलोमें बसाते रहे हैं I
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मुहब्बत जताते सताते रहे हैं
हमें प्यार वो भी सिखाते रहे हैं I
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दिया वो बुझाकर सरे आम प्यारे
हटाकर पर्दा, मुस्कुराते रहे हैं I
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सपन वो हमें भी दिखाते दिखाते
वहीं खो गये यूं कि सोते रहे हैं I
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मिलें जब हमें आमने सामने वो
नजर को झुकाकर बुलाते रहे हैं I
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मिला साथ उन का भलाई जो' समझे
हमें वो बेलन से डराते रहे हैं I
- प्रकाश पटवर्धन,