Comments

अभिव्यक्ती इंडिया या संकेत स्थळावर आपले सहर्ष स्वागत.

Friday, January 22, 2016

0 लूट सारे ले गये वो अब शिकायत क्या करुं

का-अत  र-क्या करुं   ब- 2122 x 3 + 212.
*
लूट सारे ले गये वो अब शिकायत क्या करुं 
बंदगी लेकर भला मैं अब बगावत क्या करुं I 

राजकाजी बन चले हैं आज सारे चोर ही
साथ उनका देने' की मैं भी हिमाकत क्या करुं I 

रह गया है दूर देखो पासबाने मुल्क भी  
साथ उन के देश को लुटने की जुर्रत क्या करुं I

बदनसीबी हैं हमारी गैर के हाथों गये
हुक्मरानों की बदलती है नियामत क्या करुं I 

चाहतों या ख्वाहिशों की बात कोई क्या करे
तीरगी में साथ लेके ये कयामत क्या करुI

            -    प्रकाश पटवर्धन,
                 विश्रांतवाडी, पुणे.  

No comments: